फ्रैंकफर्ट पार्लियामेंट का नाम राष्ट्रवाद के आंदोलन के एक मुख्य पड़ाव के रूप में गिना जाता है। जर्मनी में मध्यम वर्गीय लोगों के राजनैतिक संगठनों के सदस्यों ने मिलकर एक सकल जर्मन एसेंबली के लिये वोट किया और 18 मई 1848 को 831 चुने प्रतिनिधियों का जुलूस सेंट पॉल के चर्च में आयोजित फ्रैंकफर्ट पार्लियामेंट की ओर चल पड़े। उस पार्लियामेंट में एक जर्मन राष्ट्र का संविधान बनाया गया और उस संविधान के अनुसार प्रसिया के राजा फ्रेडरिक विल्हेम (चतुर्थ) को जर्मनी का शासन सौंपने की पेशकश की गई। लेकिन उसने इस अनुरोध को ठुकरा दिया और उस चुनी हुई संसद का विरोध करने के लिए अन्य राजाओं से हाथ मिला लिया।