👉लोकतांत्रिक सरकार में प्रत्येक नागरिक की हिस्सेदारी होती है, जो भागीदारी के द्वारा संभव हो पाती है।
👉लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में नागरिकों के पास इस बात का अधिकार रहता है कि शासन के तरीकों के बारे में उनसे सलाह ली जाये।
सत्ता की साझेदारी ही लोकतंत्र का मूलमंत्र है।
साझेदारी=हिस्सेदारी
👉आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के निम्न तरीके हैं:
- सरकार विभिन्न अंगों के बीच सत्ता की साझेदारी: विधायिका और कार्यपालिका के बीच सत्ता की साझेदारी।
- सरकार के विभिन्न स्तरों में सत्ता की साझेदारी: केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सत्ता की साझेदारी।
- सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी: सरकारी नौकरियों में पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षण।
- दबाव समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी: कंपनी मामलों में कानून बनाते समय एसोचैम के रिप्रेजेंटेटिव से सलाह लेना।
👉सहकारिता
☺दो शब्दों 'सह+कारिता' के मेल से बना है। जिसमें सह से आशय हैं' मिल जुलकर या साथ-साथ तथा कारिता का अर्थ हैं' कार्य करना'।
☺इस प्रकार मिल जुलकर साथ साथ काम करना सहकारिता हैं। यह एक ऐसा संगठन होता हैं जिसके सदस्य समानता के आधार पर पारस्परिक हित के लिये मिल जुलकरकार्य करते हैं
👉सहकारी और सरकारी में क्या अंतर है?
सहकारिता का सिद्धांत वे मार्गदर्शिकाएँ हैं जिनके द्वारा सहकारिताएं अपने मूल्यों को व्यवहार में लाती हैं । सहकारी समितियाँ अपने सदस्यों द्वारा नियंत्रित प्रजातांत्रिक संगठन हैं जो उनकी नीतियाँ निर्धारित करने और निर्णय लेने में सक्रिय तौर पर भाग लेते हैं ।
👉संघवाद
👉शासन की जिस व्यवस्था में किसी देश की अवयव इकाइयों और एक केंद्रीय शक्ति के बीच सत्ता की साझेदारी हो उस व्यवस्था को संघवाद कहते हैं।
👉 संघीय व्यवस्था में अक्सर सरकार के दो स्तर होते हैं। पहले स्तर पर पूरे देश के लिए केंद्र सरकार होती है और दूसरे स्तर पर राज्य सरकारें होती हैं।
👉 दोनों स्तर की सरकारें अपना प्रशासन चलाने के लिए एक दूसरे से स्वतंत्र होती हैं।