- सकारात्मक परिवर्तन ।
- प्रकार
- शारीरिक,
बौद्धिक,
सामाजिक,
भावनात्मक और
नैतिक।
विकास के लक्ष्य
अलग-अलग व्यक्ति के लिए विकास के मतलब अलग-अलग हो सकते हैं।
- एक के लिए विकास हो सकता है, दूसरे के लिए नहीं
- लोग लक्ष्य के मिश्रण को देखते हैं
विशेषताओं की तुलना
प्रति व्यक्ति आय: देश की कुल आय को उस देश की जनसंख्या से भाग देने से मिलने वाली राशि को प्रति व्यक्ति आय कहते हैं। सन 2006 की विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 28,000 रु है।
सकल राष्ट्रीय उत्पाद: किसी देश में उत्पादित होने वाली कुल आय को सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहते हैं। इस आँकड़े में हर प्रकार की आर्थिक क्रिया से होने वाली आय को शामिल किया जाता है।
सकल घरेलू उत्पाद: किसी देश में उत्पादित होने वाली कुल आय में से निर्यात से होने वाली आय को घटाने के बाद बचने वाली राशि को सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं।
शिशु मृत्यु दर: प्रति 1000 जन्म में एक साल से कम आयु में मरने वाले बच्चों की संख्या को शिशु मृत्यु दर कहते हैं। यह दर जितना कम होती है विकास के दृष्टिकोण से उतनी ही बेहतर मानी जाती है। शिशु मृत्यु दर एक महत्वपूर्ण पैमाना है, जिससे किसी भी क्षेत्र में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता का पता चलता है। सन 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में शिशु मृत्यु दर 30.15 प्रति हजार है। इसका मतलब है कि भारत में स्वास्थ्य सेवाएँ अच्छी नहीं हैं।
पुरुष और महिला का अनुपात: प्रति एक हजार पुरुषों की तुलना में महिलाओं की जनसंख्या को लिंग अनुपात कहते हैं। सन 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में प्रति 1000 पुरुषों की तुलना में 940 महिलाएँ हैं। इससे पता चलता है कि भारत में महिलाओं की स्थिति ठीक नहीं है।
जन्म के समय संभावित आयु: एक औसत वयस्क अधिकतम जितनी आयु तक जीता है उसे संभावित आयु कहते हैं। सन 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में पुरुषों की संभावित आयु 67 साल है, तथा महिलाओं की संभावित आयु 72 साल है। संभावित आयु लंबी होने से यह पता चलता है कि उस क्षेत्र में जीवन का स्तर बेहतर है, मूलभूत सुविधाएँ अच्छी हैं, स्वास्थ्य सुविधाएँ अच्छी हैं और लोगों की आय अच्छी है।
साक्षरता दर: सन 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में साक्षरता दर 74% है। एक कुशल मानव संशाधन तैयार करने के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है। एक बेहतर मानव संसाधन से देश की अर्थव्यवस्था को बल मिलता है। व्यक्तिगत स्तर पर भी शिक्षा से अनेक नये अवसर खुल जाते हैं। यदि कोई छात्र/छात्रा आईआईटी से इंजीनियर या एम्स से डॉक्टर बन जाता है तो इससे उसका भविष्य तो उज्ज्वल होता ही है उसके परिवार का भविष्य भी उज्ज्वल हो जाता है।
आधारभूत संरचना: किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए आधारभूत संरचना रीढ़ की हड्डी का काम करती है। सड़कें, रेल, विमान पत्तन, पत्तन और विद्युत उत्पादन से किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में जान आती है। अच्छी आधारभूत संरचना से आर्थिक क्रियाकलाप बेहतर हो जाते हैं। इससे हर तरफ समृद्धि आती है।
*सबसे पहले प्रति व्यक्ति आय की तुलना करते हैं।
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धारणीयता
- धारणीयता का अर्थ है ऐसा विकास जो आने वाले कई वर्षों तक सतत चलता रहे।
- जब हम संसाधन का दोहन करने की बजाय उनका विवेकपूर्ण इस्तेमाल करते हैं तो हम धारणीयता को संभव कर पाते हैं।
- ऐसा करके हम आने वाली पीढ़ियों के लिए भी बहुत कुछ बचाकर रखते हैं।
धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।-महात्मा गांधी