विषय
- परिचय
- शुरुआती इतिहास
- उपनिवेश का निर्माण
- फ्रांस के लिए उपनिवेश का क्या मतलब था
- सभ्यता के उपाय
- फसल की पैदावार
- स्कूलों में विरोध
- साफ सफाई और बीमारियाँ
- चूहों का शिकार
- धर्म और उपनिवेश
- हुइन फू सो
- चीन और जापान का प्रभाव
- कम्यूनिस्ट आंदोलन
- वियतनाम में लोकतंत्र की स्थापना
- वियतनाम का विभाजन
- युद्ध में अमेरिका का शामिल होना
- महिलाओं की भूमिका
- अमेरिकी कब्जे का अंत
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परिचय
- आधुनिक वियतनाम, लाओस और कम्बोडिया के क्षेत्रों को इंडो-चीन कहते हैं।
- प्राचीन समय में यहाँ के लोग चीन साम्राज्य की छत्रछाया में रहते थे।
- जलमार्ग से होकर जाने वाले सिल्क रूट से वियतनाम भी जुड़ा हुआ था।
फ्रांस की सेना 1858 में वियतनाम पहुँची ,उत्तरी इलाके पर फ्रांसीसी सेना का कब्जा हो चुका था।
फ्रांस की सेना 1858 में वियतनाम पहुँची |
- खिलाफ लड़ाई लड़ी और 1945 से डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ वियतनाम का निर्माण हुआ।
- लेकिन1975 को सकल वियतनाम की स्थापना हुई।
- प्राचीन समय में हमेशा चीन के नियंत्रण में था
- चीन के शक्तिशाली साम्राज्य की छत्रछाया में रहते थे।
- यहाँ चीन की पुरातन संस्कृति को मानते थे
- जलमार्ग से होकर जाने वाले सिल्क रूट से वियतनाम भी जुड़ा हुआ था। इसलिए यहाँ सदियों से माल, लोग और विचारों का प्रवाह होता रहा है।
- व्यापार के अन्य रास्तों से यह अंदर के इलाकों से भी जुड़ा हुआ था
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उपनिवेश का निर्माण
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उपनिवेशकारों के ‘सभ्यता मिशन’ का क्या अर्थ
- यूरोपीय शक्तियों को लगता था कि ‘विकसित’ होने के नाते पिछड़े लोगों को सुधारना उनकी जिम्मेदारी थी।
- उन्हें प्राकृतिक संसाधनों और अन्य वस्तुओं की मांग को पूरा करना था।
सभ्यता के उपाय
स्कूल
- जमीन को सींचने के लिये नहर
- इन नहरों से चावल की पैदावार बढ़ाने में काफी मदद मिली।
- वियतनाम धान निर्यात करने वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया था।
- रबर की खेती
- आधुनिक’ संस्कृति
- पुरानी शिक्षा पद्धति को तहस नहस किया गया और उसकी जगह नई शिक्षा पद्धति
- साफ सफाई
- अत्याधुनिक अभियंत्रण और वास्तुकला
- सुंदर शहर में चौड़ी सड़कें और नालियाँ
- चूहों का शिकार
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फसल की पैदावार
- मुख्य रुप से धान और रबर की खेती पर निर्भर थी।
- इन्हीं क्षेत्रकों को और सुविधा मुहैया कराने के लिए रेल और बंदरगाहों का निर्माण किया गया।
- फ्रांसीसियों ने वियतनाम की अर्थव्यवस्था के औद्योगिकरण के लिए कुछ भी नहीं किया।
- उन्होंने खेती की पैदावार बढ़ाने के लिये भू-सुधार पर भी बल दिया।
- जमीन को सींचने के लिये नहर बनाने शुरु कर दिये।
- फ्रांसीसियों ने मेकॉंग डेल्टा क्षेत्र में नहरें बनवाना और जमीनों को सुखाना शुरु किया।
- इन नहरों से चावल की पैदावार बढ़ाने में काफी मदद मिली।
- इसकी पुष्टि इस बात से होती है कि 1900 में कुल 274,000 हेक्टेअर के मुकाबले 1930 में 11 लाख हेक्टेअर पर धान की खेती होने लगी थी। 1931 आते-आते वियतनाम में होने वाली धान की कुल उपज का दो तिहाई हिस्सा निर्यात होने लगा, और
- वियतनाम धान निर्यात करने वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया था।
स्कूलों में विरोध
- फ्रांसीसी शासक स्थानीय लोगों को केवल इतनी ही शिक्षा देना चाहते थे जिससे क्लर्की करने के लिए श्रमिकों की कमी न हो।
- उन्हें डर था कि अच्छी शिक्षा से लोगों में जागृति आ जायेगी और फिर उपनिवेशी शासकों के खतरा पैदा हो जायेगा।
- इसलिए वे अच्छी शिक्षा देने से बचते रहे।
- वियतनाम के संभ्रांत लोगों पर चीनी संस्कृति का गहरा प्रभाव था, जिसे कम करना फ्रांसीसियों के लिये महत्वपूर्ण था।
- योजनाबद्ध तरीके से पुरानी शिक्षा पद्धति को तहस नहस किया गया और उसकी जगह नई शिक्षा पद्धति को जमाने की कोशिश की गई।
- लेकिन संभ्रांत लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली चीनी भाषा को उखाड़ फेंकना बहुत मुश्किल साबित हो रहा था।
- फ्रांसीसी नीति निर्माता चाहते थे कि पढ़ाई का मीडियम फ्रेंच हो
- वियतनाम के लोगों को फ्रेंच भाषा और संस्कृति की शिक्षा देने के उद्देश्य से टोंकिन फ्री स्कूल की स्थापना हुई थी।
- फ्रेंच भाषा और फ्रेंच संस्कृति में महारत हासिल करने वाले के लिए फ्रांस की नागरिकता का प्रावधान भी रखा गया।
- लेकिन फ्रेंच क्लास की फाइनल परीक्षा में छात्रों को जानबूझकर फेल कर दिया जाता था। ऐसा इस उद्देश्य से किया जाता था कि स्थानीय लोग अच्छी तनख्वाह वाली नौकरियों के लिए आगे न आ पाएँ।
- वियतनाम के केवल एक तिहाई विद्यार्थी ही स्कूली पढ़ाई सफलतापूर्वक पूरी कर पाते थे।
- स्कूल की किताबों में फ्रेंच संस्कृति का गुणगान किया जाता था, उपनिवेशी शासन को उचित बताया जाता था, और वियतनामियों को पिछड़ा दिखाया जाता था।
- फ्रांसीसियों के मुताबिक पश्चिमी संस्कृति की नकल करना ही आधुनिक होने का मतलब था।
- स्कूलों में इन बातों का विरोध होता,छात्र सिलेबस में लिखी बातों को पूरी तरह मानते से इनकार कर देते
- स्कूलों ने वियतनाम में राष्ट्रवाद की भावना को जन्म देने में अहम भूमिका निभाई।
- एक लड़की ने वियतनामी संस्कृति के मखौल उड़ाए जाने का विरोध किया। उसके बदले में उस लड़की को स्कूल से निकाल दिया गया। लड़की को मिलने वाली सजा के विरोध में भारी विरोध प्रदर्शन शुरु हो गया। आखिरकार, सरकार को लोगों के विरोध के आगे झुकना पड़ा। सरकार ने आदेश दिया कि साइगॉन नेटिव गर्ल्स स्कूल उस लड़की को वापस कक्षा में ले।
- 1920 का दशक आते-आते छात्रों ने राजनैतिक पार्टियाँ बनानी शुरु कर दी और राष्ट्रवादी पत्रिकाएँ भी निकालने लगे। इसके कुछ उदाहरण हैं: यंग अन्नन पार्टी (एक राजनैतिक पार्टी) और अन्ननीज स्टूडेंट (एक पत्रिका)।
- फ्रेंच शिक्षा और संस्कृति का थोपा जाना उल्टा पड़ने लगा था
- उपनिवेशी शासकों के लिए बने सुंदर शहर में चौड़ी सड़कें और नालियाँ थीं।
- हनोई शहर के निर्माण में अत्याधुनिक अभियंत्रण और वास्तुकला का इस्तेमाल किया गया था।
- लेकिन स्वच्छता के मिसाल के तौर पर बड़ी नालियों में चूहों की जनसंख्या तेजी से बढ़ने लगी।
- इसका नतीजा यह हुआ कि हनोई शहर में प्लेग की महामारी फैल गई।
- हनोई के आधुनिक नवनिर्मित इलाकों में चूहे बहुत थे।
- प्लेग जैसी खतरनाक बीमारी की रोकथाम के लिए 1902 में चूहों को पकड़ने की योजना शुरु की गई।
- इस काम के लिए वियतनाम के मजदूरों को प्रति चूहे की दर से पैसे मिलते थे।
- लोगों ने हजारों की संख्या में चूहे पकड़ने शुरु किये। चूहा मारने के सबूत के रूप में मजदूरों को चूहे की दुम को दिखाना होता था और उन्हें मजदूरी मिल जाती थी।
- कई लोगों ने इस मौके का भरपूर फायदा उठाया। लोग चूहों को मारने की बजाय उनकी दुम काटकर ही पैसे कमाने लगे।
- कुछ लोगों ने तो मोटी कमाई करने के उद्देश्य से चूहों को पालना शुरु कर दिया।
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धर्म और उपनिवेश
- वियतनाम की धार्मिक मान्यताओं में बुद्ध, कंफ्यूसियस और कई स्थानीय रीतियों का मिश्रण था।
- फ्रांस से आई मिशनरियों द्वारा वहाँ इसाई धर्म के प्रचार प्रसार की कोशिश की जा रही थी जो स्थानीय लोगों को पसंद नहीं आया।
- अठारहवीं सदी से ही पश्चिमी मान्यताओं के विरोध में कई धार्मिक आंदोलन शुरु हो चुके थे।
- इसाई धर्म के खिलाफ होने वाले आंदोलनों का एक उदाहरण है 1868 का स्कॉलर रिवोल्ट।
- हुइन फू सो:
- इसी तरह के आंदोलनों में से एक था होआ हाओ,
- इस आंदोलन के जनक का नाम था हुइन फू सो,
- जो कई तरह के चमत्कार किया करते थे
- और गरीबों की मदद करते थे। हुइन फू सो बहुत लोकप्रिय थे।
- उन्होंने कई सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आंदोलन चलाया; जैसे बाल विवाह, जुआ, शराब और अफीम।
- फ्रेच शासकों ने हुइन फू सो के आंदोलन को कुचलने की कोशिश की।
- हुइन फू सो को पागल करार कर दिया और उसे पागल बोन्ये का नाम दिया गया। उसे एक पागलखाने में डाल दिया गया।
- लेकिन जो डॉक्टर उसे पागल होने का सर्टिफिकेट देने पहुँचा वही उसका प्रशंसक बन गया। अंत में उसे देशनिकाला देकर लाओस भेज दिया गया। उसके कई अनुयायियों को कॉन्संट्रेशन कैंपों में डाल दिया गया।
फान बोई चाऊ (1867 – 1940):
- उन्होंने 1903 में रिवोल्यूशनरी सोसाइटी (डुई तान होई) का गठन किया।
- फान बोई चाऊ को 1905 में योकोहामा में चीनी सुधारक लिआंग क्वीचाओ (1873 – 1929) से मिलने का मौका मिला।
- फान द्वारा लिखित सबसे प्रभावशाली किताब थी ‘द हिस्टरी ऑफ लॉस ऑफ वियतनाम’ में क्वीचाओ का गहरा प्रभाव दिखता है।
- इस किताब में मुख्य रूप से दो मुद्दों पर बात की गई थी, स्वायत्तता का नाश और चीन के साथ टूटे हुए संबंध। वियतनाम की आजादी की लड़ाई में फान की मुख्य भूमिका रही है।
- फान शु ट्रिन
- यह वैसे शख्स थे जो फान बोई चाऊ के विचारों के सख्त खिलाफ थे।
- वे राजतंत्र के विरोधी थे। वह फ्रेंच का विरोध करने के लिए कोर्ट की मदद लेने का भी विरोध करते थे।
- पश्चिम के प्रजातांत्रिक भावनाओं का उनपर गहरा प्रभाव था। वह पश्चिमी लोगों की स्वच्छंदता की भावना के कायल थे। वह इस बात की वकालत करते थे कि फ्रेंच शासक कानूनी और शैक्षिक संस्थाओं का निर्माण करें और कृषि और उद्योग को बढ़ावा दें।
चीन और जापान का प्रभाव
- बीसवीं सदी के पहले दशक में वियतनाम से कई छात्र आधुनिक शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से जापान गये।
जापान एक आधुनिक और ताकतवर देश बन चुका था।
1907 में जापान की रूस पर फतह के साथ जापान की सैन्य शक्ति साबित हो चुकी थी। अब जापान किसी नये विवाद से दूर रहना चाहता था। इसलिए 1907 में जापान की सरकार ने वियतनाम के छात्रों की क्रांतिकारी गतिविधियों पर अंकुश लगाना शुरु कर दिया। कई क्रांतिकारियों को जापान से निकाल दिया गया, जिन्हें चीन और थाइलैंड में पनाह लेना पड़ा।
चीन में होने वाले बदलावों का प्रभाव भी वियतनाम के राष्ट्रवादियों पर पड़ रहा था। सन यात सेन के नेतृत्व में 1911 में एक लोकप्रिय आंदोलन हुआ था, जिसने लंबे समय से चले आ रहे राजतंत्र को समाप्त किया और लोकतंत्र को बहाल किया था। वियतनाम के छात्रों पर उस घटना का गहरा असर पड़ा था।
कम्यूनिस्ट आंदोलन
- वियतनाम पर 1930 के दशक की आर्थिक मंदी का गहरा असर पड़ा था।
- चावल और रबर की कीमतें तेजी से गिरीं, जिससे गाँवों में बेरोजगारी बढ़ी और लोगों पर कर्जे बढ़ गए।
- इसके परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों ने विरोध में आवाज उठानी शुरु कर दी।
- नगे अन और हा तिन राज्य ऐसे प्रतिरोधों के केंद्रबिंदु थे।
- फ्रेंच शासकों ने इन विरोधों को कुचल दिया।
- विरोध को कुचलने के लिये विमान और बम का इस्तेमाल भी किया गया।
- वियतनाम कम्यूनिस्ट पार्टी (वियतनाम कॉन्ग सन डांग) का गठन किया।
- बाद में इसका नाम बदलकर इंडो चाइनीज कम्यूनिस्ट पार्टी कर दिया गया।
- जापान दक्षिण पूर्व एशिया मे अपने साम्राज्य का विस्तार कर रहा था।
- 1940 में जापान ने वियतनाम पर कब्जा कर लिया।
- अब राष्ट्रवादी नेताओं के दो दुश्मनों थे; फ्रेंच और जापानी।
- लीग ऑफ द इंडेपेंडेंस ऑफ वियतनाम (वियत नाम डॉक लैप डोंग मिन (वियतमिन)) ने जापानी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई लड़ी और 1945 में हनोई को अपने कब्जे में ले लिया।
- इस तरह से डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ वियतनाम का निर्माण हुआ
- । हो ची मिन को इस नये राष्ट्र का चेयरमैन बनाया गया।
वियतनाम का विभाजन
फ्रेंच शासकों ने दोबारा वियतनाम को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश की। उन्होंने इस काम के लिए वहाँ के राजा बाओ दाई को कठपुतली की तरह इस्तेमाल किया।
फ्रांस की हार के बाद जेनेवा में एक शांति वार्ता हुई। वियतनाम को दो भागों में विभाजित कर दिया गया; उत्तरी और दक्षिणी वियतनाम।
उत्तरी वियतनाम की सत्ता हो ची मिन और कम्यूनिस्टों को मिली तथा दक्षिणी वियतनाम की सत्ता बाओ दाई को मिली।
कुछ ही दिनों बाद नगो दिन दिएम के नेतृत्व में बाओ दाई शासन का तख्तापलट हो गया। दिएम एक तानाशाह शासक बन गया। उसके बाद नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने दिन दिएम के तानशाही शासन का विरोध किया। नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने हो ची मिन सरकार की मदद ली और देश के एकीकरण के लिए संघर्ष किया।मजबूरन वियतमिन को पहाड़ियों में भागकर छुपना पड़ा। 1954 में आठ साल की लंबी लड़ाई के बाद वियतमिन ने फ्रांसीसियों को दियेन बियेन फू में हरा दिया।
युद्ध में अमेरिका का शामिल होना
- वियतनाम में कम्यूनिस्ट पार्टी की सरकार बनने से अमेरिकी सरकार को यह डर सताने लगा कि आसपास के क्षेत्रों में भी वैसी ही सरकारें बनेंगी। अमेरिका हर हाल में कम्युनिज्म को फैलने से रोकना चाहता था, इसलिए उसने वियतनाम पर आक्रमण कर दिया।
- अमेरिका ने वियतनाम के युद्ध में बड़ी संख्या में अपने सैनिकों और अत्याधुनिक हथियारों और साज सामानों का इस्तेमाल किया।
- लेकिन इन सबके बावजूद वियतनाम युद्ध में अमेरिकी सेना के सैनिक भारी संख्या में हताहत हुए।
- उस युद्ध में उस समय के सबसे शक्तिशाली बमवर्षक विमान का इस्तेमाल भी किया गया।
- उस युद्ध में लगभग 47,000 अमेरिकी सैनिक मारे गए और 303,000 सैनिक घायल हुए।उनमें से लगभग 23,000 सैनिक पूर्ण रूप से अपाहिज हो गये।
अमेरिका के आगे वियतनाम बहुत कमजोर पड़ता था लेकिन वियतनाम के लोगों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए डटकर मुकाबला किया। इससे अमेरिका को मुँह की खानी पड़ी।
- वियतनाम की महिलाओं को चीन की महिलाओं की तुलना में अधिक समानता प्राप्त थी।
- निचले वर्ग की महिलाओं पर यह बत कुछ ज्यादा ही लागू होती थी। लेकिन उन्हें सीमित स्वतंत्रता ही मिली हुई थी और सार्वजनिक जीवन में उनका कोई खास योगदान नहीं था।
- लेकिन राष्ट्रवादी आंदोलन के फलने फूलने के साथ स्थिति बदलने लगी थी।
- महिलाओं ने हो ची मिन्ह मार्ग में सप्लाई को सुचारु रूप से चलाने में अहम योगदान दिया।
- युद्ध में भी इन महिलाओं की सक्रिय भूमिका थी।
- महिलाओं ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में पूरी जिम्मेदारी उठाई।